Wednesday, June 24, 2020

तुम्हें कभी नहीं मिलेगी आजादी

कहानी 
*    .     तुम्हें कभी नहीं मिलेगी आजादी   * 
एक नवयौवना को जीवन का मर्म समझाता मेरा यह पत्र
आचार्य श्री विष्णु गुप्त
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......   तुम एक दिन कही थी कि न जाने कब तुम्हे आजादी मिलेगी। मैंने तुम्हे कहा था कि तुम्हे कभी नहीं मिलेगी आजादी।
...... आज न कल तुम्हारी शादी हो जायेगी, शादी या तो तेरे अभिभावकों की मर्जी से होगी या फिर तुम अपनी मर्जी से करोगी
... .  .  शादी के बाद कुछ दिन तक तुम आजाद महसूस जरूर करोगी पर वह समय मनोरंजन काल होगा, मनोरंजन काल अल्प अवधि का होगा, मनोरंजन काल में तुम सिर्फ आजादी महसूस करोगी, आजाद नहीं होगी
...... अनिवार्य परम्परा के अनुसार मनोरंजन अवधि में ही तुम्हारे पति, सास ससुर, समाज की वंशवादी अनिवार्य विचार प्रवृति तुम पर हावी हो जाएगी, तुम उस जकड़न व घेराबंदी में कैद हो जाएगी
.......दुनिया की रीत के अनुसार तुम पर सांसारिक जीवन के दायित्व का बोझ  उत्पन्न होना निश्चित है
....... प्रतिफल तुम मा बनोगी, मा बनने की खुशी तुम्हारे उपर हावी हो जाएगी, बच्चे को ही अपना संसार और अपना जीवन समझ लोगी, अपना सबकुछ बच्चे पर लूटा दोगी
      ...... बच्चे को बड़ा करने और बच्चे को  पढ़ाने, बच्चो को कामयाब बनाने में जिंदगी वृदधावस्था में पहुंच जाएगी
  ......ऐसी अवस्था आने पर मनोरंजन प्रवृति भी समाप्त हो जाती है, जीवन की सभी  इच्छाएं समाप्त हो जाती है, जीवन का उत्साह समाप्त हो जाता, कई बीमारियां आगोश में ले लेती हैं, इसके बाद जिंदगी आश्रित हो जाती है, फिर जिंदगी का कोई मूल्य नहीं बचता है
..... फिर बहू का साम्राज्य स्थापित हो जाता, बहू सास ससुर के लिए सीधे यमराज हो जाती है
..... बच्चे बाहर या विदेश चले गए तो फिर अकेलापन और अवसाद का हमला भी असहनीय पीड़ा देती है, बच्चो को लौटने की आस में वृद्ध आत्माएं तिल तिल कर मरती है
........ सरदार भगत सिंह, मंगल पांडेय, चन्द्रशेखर आजाद, तात्या टोपे , आदि अगर मनोरंजन प्रवृति में फसते, परिवार मोह में डूबते तो फिर क्रांति के सूत्रधार नहीं बनते, प्रेरक नहीं बनते। मै खुद भी इसी श्रेणी में सक्रिय हू।
..... पेट और परिवार पालने वाले लोग कभी भी क्रांति के सहचर नहीं बनते, विश्वसनीय नहीं होते, हमेशा धन और परिवार मोह में वर्जित कार्य के अभियुक्त होते हैं
........   पृथ्वी पर आना न आना किसी कि इच्छा पर निर्भर नहीं करता है, लेकिन पृथ्वी पर आने के बाद अपने अनुसार जीवन संसार बनाया जा सकता है
.......   यह मेरा विचार है, मेरा यह विचार तुम्हारे सिर का बोझ नहीं बनेगा,
.....  मेरी बात सकारात्मक है, मेरी यह बात पेट और परिवार पालने वालो के लिए नहीं है
.....  मेरी यह उक्ति सामान्य रूप से लडको पर भी लागू होती है।
...... *तुम निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हो* 

   ******     तुम्हारी शुभैषी.  *****

,,,,,,,      आचार्य श्री विष्णु गुप्त   ,,,,,,

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