भारतीय क्रिकेट की दुर्दशा पर पूरा देश हैरान
हरभजन दोषी है और भारतीय क्रिकेट बोर्ड तथा टीमों को खरीदने वाले कारपोरेट घराने भी
विष्णुगुप्त
भद्रजनों का खेल माने जने वाले क्रिकेट को नौटंकी का तमाशा बना दिया गया है। पैसा कमाना एकमेव लक्ष्य बना लिया गया है। आखिर क्यों राजनीतिज्ञ, व्यापारी और नौकरशाह क्रिकेट का भाग्यविधाता बने हुए हैं? इस प्रश्न का उत्तर भी क्रिकेट प्रेमियों को चाहिए।
पूरा देश हैरान है, क्रिकेट प्रेमी ही नहीं अपितु क्रिकेट में रूचि नहीं रखने वाले भी। एक ही आवाज उठ रही है, तू ने क्या किया हरभजन? हैरान होना स्वाभाविक है। इसलिए कि क्रिकेट को भद्रजनों का खेल माना जता है।
कलंकित करने वाली करतूत के लिए प्रत्यक्ष तौर पर हरभजन दोषी है, पर अप्रत्यक्ष तौर पर भारतीय क्रिकेट बोर्ड और टीमों को खरीदने वाले कारपोरेट घराने भी कठघरे में खड़े हैं। भद्रजनों का खेल माने जाने वाले क्रिकेट को नौटंकी का तमाशा बना दिया गया है। पैसा कमाना एकमेव लक्ष्य बना लिया गया है। आखिर क्यों राजनीतिज्ञ, व्यापारी और नौकरशाह क्रिकेट का भाग्यविधाता बने हुए हैं? इस प्रश्न का उत्तर भी क्रिकेट प्रेमियों को चाहिए।
हरभजन ने आवेश में उस मासूम और नादान को थप्पड़ मारकर अपनी छवि को रसातल में भेजा जो हमेशा उत्साहित रहता है, मैदान पर सौ प्रतिशत प्रदर्शन देने की कोशिश करता है, और जिसे अभी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की बारीकियां और व्यवहार सीखने हैं।
श्रीसंत ने न तो चिढ़ाया था और न ही गालियां दी थीं, सिर्फ हार्ट टास्क कहा था। इसमें चिढ़ने की कोई बात नहीं थी। पिछले दो सालों से हरभजन और श्रीसंत एक साथ भारतीय टीम में हैं। एक साथ खेलने के दौरान इतनी समझ तो होनी ही चाहिए थी कि कौन सी बात चिढ़ाने के वास्ते कही गयी है या फिर सहानुभूति दर्शाने के लिए कही गयी है।
हरभजन कोई जूनियर नहीं, सीनियर खिलाड़ी हैं। इसलिए हर किसी को यह उम्मीद होती है कि उनका व्यवहार शालीन और सलीकेदार हो। लेकिन हरभजन ने थप्पड़ के साथ जो अपने माथे पर कलंक लगा लिया है वह जल्दी से धुलेगा, इसकी उम्मीद नहीं है। निलम्बित तो वे हो ही चुके हैं और शायद सजा से भी नहीं बचेंगे। सिर्फ आईपीएल नहीं, आईसीसी की नजरों में भी हरभजन ने एक बिगडै़ल क्रिकेटर की पदवी हासिल कर ली है।
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आस्ट्रेलियनों को एक मौका और मिल गया है। पिछली श्रृंखला के दौरान आस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों के निशाने पर हरभजन थे। हरभजन पर साइमंड के खिलाफ नस्ली टिप्पणी के आरोप लगे थे। बड़ी मुश्किल से बीसीसीआई ने उन्हें सजा से मुक्त कराया था। मैथ्यू हैडन ने खुजली करने वाला झड़ी कहा था हरभजन को। साइमंड और मैथ्यू हैडन आज सर्वाधिक खुश होंगे, क्योंकि आस्ट्रेलियनों ने हरभजन को जिस रूप में स्थापित करने की कोशिश की थी, हरभजन अपने करतूतों से क्रिकेट जगत के सामने उसी रूप में खड़े हो गये हैं। आस्ट्रेलिया के मीडिया में हरभजन छाये हुए हैं। आस्ट्रेलिया के मीडिया का कहना है कि अगर हरभजन को पहले ही सजा मिल गयी होती तो शायद इस तरह की करतूत करने से वह बाज आता। हालांकि आस्ट्रेलियाई क्रिकेटर और मीडिया खुद अपने करतूतों के लिए दुनिया में कुख्यात हैं।
क्रिकेट में आज जो कुछ इतर दिख रहा है, उसके जनक तो आस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ही हैं। विजेता का कोई माप दंड नहीं होता। आस्ट्रेलियनों ने वर्ल्ड चैम्पियन बनने के लिए साम, दाम, दंड, भेद जैसे सभी रास्ते अपनाये। इसलिए उन आस्ट्रेलियनों से सीख लेने की जरूरत नहीं है। पर मौका तो हमने ही उन्हें दिया है।
इसके लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड भी कम दोषी नहीं है। बहरहाल यह साफ हो गया है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के लिए क्रिकेट की शुचिता और विस्तार की जगह पैसा जरूरी हो गया है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड एक कारपोरेट कम्पनी के रूप में तब्दील हो चुका है। आईसीएल से मिली चुनौती को तोड़ने के लिए उसने ऐसा जाल-जंजाल बुना कि सारे के सारे सिद्धांत और परम्परा धरे के धरे रह गये। क्रिकेटरों की खुले बाजर में बिक्री हुई। जैसे वे क्रिकेटर नहीं, अपितु घोड़े या गद़हे हों और बिक्री के लिए पशु बाजार में रखे गये हों। चीयर्स गर्ल्स की अश्लीलता भी कम आपत्तिजनक नहीं है। इसीलिए राजनीति सहित अन्य हलकों से चीयर्स गर्ल्स की अश्लीलता के खिलाफ आवाज उठी है। अधिक पैसा कमाने के लालच में यह देखने की कोशिश ही नहीं हुई कि आखिर क्रिकेटर भी इंसान हैं। उनकी भी शारीरिक और मानसिक सीमाएं हैं। बिना रेस्ट के लगातार खेलते रहने से उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित होती है। इसके अतिरिक्त एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि जिन कारपोरेट घरानों ने टीमों को खरीदने के लिए पैसे लगाये हैं, उन्हें अपनी कम्पनी के प्रचार और प्रसार के साथ-साथ लगाये गये पैसे की वसूली भी चाहिए। ऐसे में खिलाड़ियों पर मैच जीतने का दबाव रहना ही है और मैच हारने के बाद झुंझलाहट का आना स्वाभाविक है।
हरभजन को निलम्बित करना एकदम सही कदम है। निलम्बन ही क्यों ,सजा भी होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से शर्मसार होने से बचा ज सके।(समाप्त)
Wednesday, December 2, 2009
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