राष्ट्र-चिंतन
भारत विभाजन पर मजहबी दृष्टिकोण बेनकाब
भारत विभाजन के लिए नेहरू और कांग्रेस जिम्मेदार ?
आचार्य श्रीहरि
एनसीईआरटी के भारत विखंडन पर नये कंटंेट को लेकर नया विवाद उत्पन्न हो गया है। कांग्रेस और उनकी समर्थक जमात आग बबूला है, गलत तथ्य प्रस्तुत करने का आरोप लगाया है और उक्त कंटेंट को हटाने की मांग की है। आगे भी इस प्रश्न पर विवाद गहराने की उम्मीद है। जहां तक केन्द्रीय सरकार के जवाब और तर्क की बात है तो उसने कंटेंट को सही बताया है और कहा है कि कंटेंट चाकचैबंद है और तथ्यों पर आधारित है, भारत विखंडन की प्रक्रिया पूरी तरह से त्रासदीपूर्ण थी और त्रासदी पूर्ण स्थिति बनाने के लिए साजिशें चली गयी थी। इतिहास को सुधारने, ठीक करने और पठनीय बनाने की हमारी कोशिशें जारी रहेंगी। हालांकि यह कंटेट सिर्फ स्पेशल मोडयूल है जो नियमित पाठयक्रम की पुस्तकों की हिस्सा नहीं होते हैं। ये कंटेंट सिलेबस में शामिल नहीं होते हैं। इसे पोस्टर्स चर्चाओं, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं और जेनरल नाॅलेज के रूप में बच्चों को पढाया जाता है, बताया जाता है।
राजनीतिक परिस्थितियां यह बताती हैं कि जब-जब इतिहास पर सुधार की कोशिश होती है, इतिहास को वर्तमान स्थिति मे देखने की कोशिश होती है तो फिर राजनीतिक विवाद हो जाता है। अगर सुधार की कोशिशों में कांग्रेस और इस्लाम के किसी भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कारकों पर कैंची चलाने या फिर उस पर टीका-टिप्पणी करने का प्रयास होता है तो फिर राजनीति और भी गर्म हो जाती है। मुस्लिम उत्पीडन का भी प्रश्न खड़ा कर दिया जाता है। इसलिए कांग्रेस और उसके समर्थक जमात मुस्लिम कार्ड खेल रहे हैं। इसमें कौन पराजित होगा और कौन जीत दर्ज करेगा? नरेन्द्र मोदी का स्पष्ट संदेश है, स्पष्ट एजेंडा है। वह संदेश और एजेंडा अपने समर्थक समूह को संतुष्ट करना और रखना, उन्हें यह अहसास दिलाना कि हम अपने एजेंडे पर सक्रिय हैं और सक्रिय रहेंगे। इस कसौटी पर नरेन्द्र मोदी की सरकार को वैम्पियन माना जाना चाहिए।
एनसीईआरटी के भारत विखंडन पर नये कंटेंट में ऐसा क्या है जो कांग्रेस, कम्युनिस्टों और मुस्लिम जमात को आगबबूला कर दिया है? वास्तव में केन्द्रीय सरकार ने जिन्ना और नेहरू की विभाजन नीति को स्पष्ट कर दिया है। कंटेंट में सीधे तौर पर कह दिया गया है कि भारत विंखंडन के लिए जिन्ना और नेहरू जिम्मेदार हैं, इनकी निजी कारस्तानी के कारण भारत का विखंडन हुआ और लाखों हिन्दुओं को गाजर-मूली की तरह काट दिया गया। ऐसे लार्ड मांउटबेटन को भी दोषी ठहराया गया है। लेकिन इसमें कुछ नाम ओझल कर दिये गये हैं, छिपा दिये गये हैं, उस पर चर्चा करने की जरूरत नहीं समझी गयी। सबसे पहले शायर और जिहादी मोहम्मद इकबाल का नाम गायब है। क्योंकि दो काॅम और दो देश की पहली थ्योरी मोहम्मद इकबाल ने दी थी। इकबाल ने ही कहा था कि हिन्दू और मुसलमान दो काॅम है जो एक साथ नहीं रह सकती हैं, मुसलमानों ने इस देश पर आठ सौ सालों से ज्यादा समय तक राज किया है, इसलिए मुसलमान इस देश के शासक हैं। भारत आजाद हुआ तो फिर भारत में लोकतंत्र की स्थापना होगी। लोकतंत्र में जिसकी आबादी होगी अधिक वही शासक बनेगा। इसलिए भारत पर हिन्दुओं का शासन होगा। इकबाल ने पाकिस्तान का नाम दिया था और कहा था कि मुसलमानों के लिए पाकिस्तान देश बनाना ही होगा। मोहम्मद इकबाल ने ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दू सत्ता हमारा‘ गाया था पर जब उस पर मुस्लिम जिहादी मानसिकता चढी तो गाया था ‘हम हैं मुस्लमां और सारा जहां हमारा‘। यानी की पूरी धरती मुसलमानों का है। जिन्ना दोषी कैसे नहीं है? जिन्ना भारत विखंडन का दोषी है, भारत विखंडन का उसका एजेंडा था, भारत विखंडन के लिए वातावरण बनाने के लिए हिंसक सभाएं करते थे, हिंसक भाषण देते थे, दंगे कराते थे और धमकियां देते थे। भारत विखंडन के पूर्व ही विखंडन के लिए दंगे हो रहे थे। इन सभी दंगों के पीछे जिन्ना का विखंडन एजेंडा ही जिम्मेदार था।
मोहम्मद इकबाल-जिन्ना के साथ ही साथ महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू भी भारत विखंडन के जिम्मेदार थे। महात्मा गांधी की सहमति के बिना भारत का विखंडन संभव नहीं था। महात्मा गाधी का व्यक्तित्व महान और विशाल बन चुका था। अंग्रेजों के लिए महात्मा गांधी के व्यक्तित्व को खारिज करना मुश्किल था। इस कारण लार्ड माउंटबेटन की नीति तब तक परवान नहीं चढ सकती थी जब तक महात्मा गांधी की सहमति नहीं मिलती। अंग्रेजों ने महात्मा गांधी की सहमति ली थी। बाद में एक तथ्य यह भी सामने आया था कि मौलाना अबुल कलाम आजाद द्वारा गलतफहमी पैदा करने और झूठ प्रस्तुत करने की कसौटी पर महात्मा गांधी ने भारत विखंडन की सहमति लार्ड मांगट बेटन को दी थी। जवाहरलाल नेहरू तो भारत विखंडन के पक्षधर ही थे। अप्रत्यक्ष तौर पर नेहरू ने जिन्ना की कारस्तानी से दोस्ती की थी और जिन्ना को अपने एजेंडे पर कायम रहने के प्रोत्साहित किया था। क्योंकि भारत का विखंडन नहीं होता और जिन्ना पाकिस्तान नहीं जाते तो फिर नेहरू का प्रधानमंत्री बनना मुश्किल था फिर नेहरू का यह सपना भी डूब जाता। नेहरू ने विखंडन के पक्ष में एक भाषण भी दिया था। नेहरू ने कहा था कि हम एक ऐसी स्थिति में आ गये हैं जहां हमें या तो विभाजन को स्वीकार करना होगा या फिर निरंतर संघर्ष और अराजकता का सामना करना होगा। संघर्ष और अराजकता फैलाने वाले कौन लोग थे? जिन्ना और उनकी दंगाई मुस्लिम आबादी ही संघर्ष कर रहे थे और अराजकता फैला रहे थे। भारत विभाजन हुआ और नेहरू समर्थन नहीं होने के बाद भी प्रधानमंत्री बन गये। जबकि नेहरू के पास समर्थन भी नही था, उनके पास सिर्फ महात्मा गांधी की इच्छा थी।
जहां तक लार्ड माउंट बेटन का प्रश्न है तो उसका भारत विभाजन का एजेंडा स्पष्ट था। भारत विभाजन के लिए ही उन्हें भारत भेजा गया था। लार्ड मांउटबेटन की पत्नी और नेहरू दोनों दोस्त थे और एक साथ पढे थे। इस कारण लार्ड माउंट बेटन ने नेहरू का इस्तेमाल तास के पत्तों की तरह खूब किया और जिन्ना की हिंसा और दंगाई भूमिका के पीछे भी लार्ड माउंट बेटन की इच्छा और सहयोग था। बाद में नेहरू और लार्ड माउंटबेटन की पत्नी रंगरेलियां भी आम हो गयी।
एनसीईआरटी के इस स्पेशन माॅडयूल की प्रस्तावना में नरेन्द्र मोदी के विचारों को प्राथमिकता दिया गया है। नरेन्द्र मोदी का भारत विभाजन पर विचार बहुत ही संवेदनशील हैं और भविष्य के लिए भी प्रेरक हैं। नरेन्द्र मोदी का कहना है कि भारत विभाजन के दर्द और पीडा के साथ ही साथ क्षति को भुलाया नहीं जा सकता है, लाखों लोगों के जीवन का संहार हुआ, लाखों लोगों को विस्थापन के लिए मजबूर होना पडा। नफरती एजेंडे के कारण भारत का विभाजन हुआ। विभाजन की त्रासदी और भारत विखंडन में बलिदान हुए लाखों लोगों की याद में हम 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनायेंगे। नरेन्द्र मोदी और भाजपा आज भी पाकिस्तान के अस्तित्व को नहीं मानते हैं, संघ भी भारत विभाजन को नहीं मानता है और इन सभी समूहो का आईकाॅन अखंड भारत है। अखंड भारत का सपना देखने वालों की आज केन्द्र्र में सरकार है। नरेन्द्र मोदी से वह समूह अखंड भारत की उम्मीद करता है जो पाकिस्तान की नींव को हिंसक और काफिर विरोधी मानता है।
इतिहास का पुर्नलेखन क्यों जरूरी है। क्योंकि भारत का इतिहास छिन्न-भिन्न है, अंग विहीन है। क्योंकि इतिहास लेखन की जिम्मेदारी कम्युनिस्टों और मुस्लिमों के समर्थक जमात पर थी। नेहरू खूद कहते थे कि मैं गलती से हिन्दू धर्म में पैदा लिया हूं, कर्म और आचरण से मैं मुसलमान हूं। इसी मानसिकता से नेहरू ने भारतीय इतिहास का मुस्लिमकरण किया था। भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने भी हिन्दुत्व पीडा और हिन्दुत्व कत्लेआम पर पर्दा डालने का काम किया था। आजादी तीस सालों तक भी देश का शिक्षा मंत्री मुस्लिम ही क्यों बनते थे? उम्मीद है कि मोदी सरकार भारत को इस्लामिक-अलतकिया जिहाद से जुडे सभी विषयों को पाठयक्रमों में शामिल कर राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करेंगे और भारत के इतिहास को इस्लामिक, कम्युनिस्ट व कांग्रेसी कुचक्र से मुक्त करेंगे।
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