हरिनारायण की करतूत भी तो जानिये...
आचार्य श्रीहरि
मैंने हरिनारायण सिंह का जिहादी चेहरा देखा है, लवजिहादी समर्थक उसकी गतिविधियां देखी है, कैसे वह एक लवजिहादी परिवार को बचाया था और संरक्षण दिया था।
कोयला तस्करी में उसका नाम आया था यह कौन नहीं जानता है? आयकर विभाग ने उसके घर छापा मारा था और कई रिश्वतखोरी और भ्रष्टचार में उसका नाम चर्चा में था।
रांची की पत्रकारिता में जातिवाद करने की करतूत हरिवंश और हरिनारायण की जोडी को है। इसके पहले रांची की पत्रकारिता में जातिवाद था ही नहीं?
मैंने अगर हिन्दुत्व से बईमानी की होती तो फिर आज मेरी पत्रकारिता शिखर पर होती, शायद बडे पद भी मिल जाता। न तो मैंने जातिवाद किया और न ही हिन्दुत्व से बईमानी की। देशद्रोही लोग आज मुझे लाखों देने के लिए तैयार हैं।
मैंने अपने 64 साल की जिंदगी में 35 साल भूखे रहा है। आज भी मेरे पास खाने के लिए पैसे नहीं है, दवा के पैसे नहीं है। फिर भी मैंने अपनी पत्रकारिता नहीं बेची, बईमानी का धन स्वीकार नहीं किया।
भगवान अपराधी को कभी पुरस्कृत करता नही। सजा देता है। इसलिए कोई अपराधी मरने के बाद स्वर्गीय हो ही नहीं सकता है।
सनातन का संहार आज इसीलिए हो रहा है कि वह अपने दुश्मनों को याद करता नहीं है, दुश्मनों के मरने के बाद भी उसे स्वर्गीय कहता है।
आप मेरे अनुज के सम्मान हैं। आपने कभी रांची में मेरी सहायता की थी। लेकिन क्या आप मुझे अपना गुलाम बना कर रखना चाहते हैं? मेरा समर्पण हिन्दुत्व के प्रति है। मैं हिन्दुत्व की कसौटी पर ही सभी को रखता हू और अपना विचार प्रकट करता हूं। लाभ और हानि से मै मुक्त हू।
ऐसे भी मैं मरने वाला हूं, मेरी शरीर कुत्ते और कौआ खायेगा। इसलिए मुझे किसी के समर्थन प्रशंसा की परवाह नहीं है।
आचार्य श्रीहरिद्ध
नई दिल्ली
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