राष्ट्र-चिंतन
तिरंगे का मजहबी अपमान
तिरंगे का अपमान कर फिलिस्तीन का झंडा फहराने, फिलिस्तीन जिंदाबाद और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने की बढती प्रवृति राष्ट्र के लिए घातक है
आचार्य श्रीहरि
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क्या किसी भारतीय के लिए तिरंगे झंडे से भी बड़ा फिलिस्तीन झंडा प्यारा हो सकता है, क्या कोई भारतीय तिरिगे झंडे का फेक कर, उतार कर, उसका अपमान कर सकता है, तिरंगे की जगह फलिस्तीन का झंडा फहरा सकता है? अगर ऐसी घटना किसी सरकारी भवन पर हुआ है तो यह प्रसंग न केवल देशद्रोह का बनता है बल्कि एक सभ्य और दायित्वपूर्ण नागरिक होने की अहर्तता का संहार भी करता है, क्योंकि भारतीय संविधान में अगर मौलिक अधिकार है तो फिर मौलिक कर्तव्य भी है। खासकर तिरंगे के प्रति समर्पण नहीं रखने वाले लोग, तिरंगे का अपमान करने वाले लोग, तिरंगे का फाड कर फेंकने वाले लोग, तिरंगे से नफरत करने वाले लोग संविधान से प्रदत्त मौलिक कर्तव्य का उल्लघन करते हैं और अपनी नागरिकता खोने का अपराध करते हैं। तिरंगे के प्रति समर्पण दिखाना मौलिक कर्तव्य है।
तिरंगा सिर्फ एक कपडे का टूकडा मात्र नहीं है बल्कि देश का आन-बान शान है, न जाने कितने भारतीयों ने तिरंगे के सम्मान के लिए अपनी जानें बलिदान की थी, अंग्रेजो की गोलिया खायी थी, अपनी हंसती-खेलती और मुस्कराती जिंदगी समाप्त करने के लिए पीछे नहीं हटे थे। लेकिन तिरंगे के प्रति मुस्लिम समुदाय की नफरत और मजहबी सोच अब भयानक और घिनौना उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है, तिरंगे की जगह उनका इस्लाम और मजहब प्यारा, सर्वश्रेष्ठ होता जा रहा है, मजहब के आधार पर उनके लिए कभी इस्लाम का झंडा, कभी बांग्लादेश का झंडा तो कभी ईरान का झंडा, तो कभी फिलिस्तीन का झंडा महत्वपूर्ण होता जा रहा है। सिर्फ तिरंगे की ही बात नहीं है बल्कि अन्य राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति इनकी नफरत और हिेसक सोच सामने लोमहर्षक करतूत के तौर पर आ रही है। जन गन मन अधिनायक हमारा राष्ट्रीय गाण है, इस राष्ट्रीय गान के प्रति हमारा रझान और सम्मान सर्वश्रेष्ठ है पर मुस्लिम समुदाय इसके प्रति घृणा प्रस्तुत करते हैं। संसद के अंदर में कई बार देखा गया है कि मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले मुस्लिम सांसद जन गन मन के गान के समय खडे होने से भी बचते है।
इस कसौटी पर उत्तर प्रदेश के खीरी की घटना ने हमें मुस्लिम समुदाय की भारत विरोधी हरकतांें पर संज्ञान लेने के लिए प्रेरित किया है, देश के नीति निर्धारकों और देश के संवैधानिक नियामकों को भी प्रतिक्रिया गत कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है। लोमहर्षक घटना उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की है। जहां पर एक सरकारी स्कूल के भवन पर लगे तिरंगे झंडे के साथ अपमान हुआ है, तिरंगे झंडे को फाड कर फेकने का अपराध हुआ है, तिरंगे की जगह फिलिस्तीन के झंडे को फहराया गया है। यह घटना सरेआम घटी है, एलानिया तौर पर हुई है। पहले से ही धमकी दी गयी थी कि स्कूल का इस्लामिककरण करो, नही ंतो इस्लामिक झडा लगा देंगे, फिलिस्तीन का झंडा लगा देंगे, पाकिस्तान का झंडा लगा देंगे। सरकारी स्कूल के शिक्षक और छात्र डरे हुए थे, वे तिरंगा हटाते तो क्यों? धमकियांें को अंजाम दिया गया। दर्जनों मुस्लिम युवक उस सरकारी स्कूल पर धावा बोलते हैं और तिरंगे का अपमान करते हैं, तिरंगे को नोच कर फेक देते हैं, उसके बाद फिलिस्तीन का झंडा लगा देंते हैं, फिलिस्तीन का झंडा फहराने के बाद फिलिस्तीन जिदाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद और इस्लाम जिंदाबाद के नारे लगते हैं। गांव वालों को धमकिया मिलती है कि इसका विरोध किया तो डायरेक्ट एक्शन वाली घटना को अंजाम दिया जायेगा। डायरेक्ट एक्शन का अर्थ हिन्दुओं को गाजर मूली की तरह काटना और इस्लाम का झंडा फहराना है। गांव वाले इस घटना से डरे हुए थे। फिर एक युवक की साहस असर दिखाता है। साहस कर एक युवक ने पुलिस के पास जाकर कंपलेन करता है। पुलिस एक्शन में आती है। तीन मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी होती है, शेष की पहचान और खोज जारी है। पुलिस की जांच संपूर्णता में होनी चाहिए। संपूर्णता में पुलिस जांच होने से यह बात सामने आयेगी कि इस लोमहर्षक घटना में कितनी बडी साजिश है और तिरंगा को निशाना बनाने के पीछे कहीं कोई अंतर्राष्टीय षडयंत्र तो नहीं है, किसी आतंकवादी संगठनों की इसमें सलिप्तता तो नहीं, क्योकि भारत में इस्लामिक कूरीतियों और हिंसक ग्रथियों का शासन लागू करने को लेकर जिहाद पहले से ही जारी है।
फिलिस्तीन हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण हैं, फिलिस्तीन के लिए हम अपना राष्ट्रीय हित और सुरक्षा हित को बलिदान क्यों करें? फिलिस्तीन कोई देश नहीं है, फिलिस्तीन कभी भी मुसलमानों की धरती या फिर वर्चस्व नहीं रहा है। इस्लाम की स्थापना के पूर्व से ही फिलिस्तीन के अंदर यहूदियों और ईसाइयों की उपस्थिति और वर्चस्व था। क्योंकि ईसाई और यहूदियों के अस्तित्व के कई सौ साल बाद इस्लाम और मुसलमानों का अस्तित्व सामने आया था। इस्लाम तलवार के बल पर बढा हुआ है और विस्तार पाया है। इस्लाम ने फिलिस्तीन पर हमला बोला और कब्जा करने के लिए हिंसा को अपनायी। इतिहास कोई भी पढ सकता है। इतिहास मे दर्ज है कि इस्लाम के दूत मोहम्मद साहब के समय भी इस्लाम और यहूदियों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था और इस्लाम की घुसपैठ फिलिस्तीन में हुई थी। बाद में फिलिस्तीन के अंदर इस्लाम का वैसा ही प्रचार और प्रसार हुआ जैसा कि ईरान में इस्लाम का हुआ था, भारत में इस्लाम का हुआ था। जिस तरह से भारत में इस्लाम ने हिंसा फैलायी और धर्मातंरण करा कर अपनी पैठ बढायी, ईरान में जिस तरह से इस्लाम ने मूल निवासी पारसियों का सफाया कर अपना एकमेव वर्चस्व स्थापित किया उसी तरह से फिलिस्तीन में भी इस्लाम ने अपना वर्चस्व कायम किया। बाद में फिलिस्तीन इस्लाम, यहूदी और ईसाइयों की सांझी भूमि के तौर पर विख्यात हो गयी, स्थापित हो गयी, फिलिस्तीन में आज मुस्लिम, ईसाई और यहूदियों के धर्मस्थल हैं, जिनको लेकर संघर्ष और हिंसा होती है। दूसरे युद्ध की समाप्ति के बाद इस्राइल अस्तित्व में आया और यहूदियों को अपनी भूमि मिली।
फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास और हिज्जबुल्लाह हमारे लिए उतने ही खतरनाक हैं और हिंसक है जितने हमारे लिए पाकिस्तान के मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं। अभी-अभी भारत और पाकिस्तान के बीच जंग हुआ और सिंदुर आपरेशन के माध्यम से भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाया, मुस्लिम आतंकवादी संगठनों के ठिकानों को उड़ाया। इस प्रकरण में हमास और हिज्जबुल्लाह ने भारत का समर्थन नहीं किया, इसने पाकिस्तान का समर्थन किया था। कश्मीर के प्रश्न पर फिलिस्तीन के आतंकी संगठनों ने हमेशा पाकिस्तान और इस्लामिक कसौटी पर समर्थन किया है और भारत के इस्लामीकरण के प्रति अपनी आस्था जतायी है। इसकी जगह इस्राइल को देख लीजिये। इस्राइल हमारा पक्का दोस्त है, इस्राइल हमारा सुरक्षा साझेदार है, इस्राइल हमारी कूटनीति का समर्थक है। जब-जब भारत की संप्रभुत्ता और अस्मिता पर संकट आया है तब-तब इस्राइल ने भारत का समर्थन किया है और भारत की मदद की है। आगे भी इस्राइल हमारा समर्थन और हमारी मदद के प्रति असहिष्णुता प्रदर्शित नहीं कर सकता है। फिलिस्तीन में मुसलमानों को इस्राइल गाजर मूली की तरह काट रहा है पर इसके लिए हमास और हिज्जबुल्लाह और मुस्लिम देशों की भूमिका और करतूत को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।
भारतीय मुसलमानों की गतलफहमियां टूटने वाली नहीं है। भारतीय मुसलमानों के इस्राइल मुर्दाबाद के नारे लगाने से, तिरंगा का अपमान करने से, तिरंगे की जगह फिलिस्तीन झंडे फहरा देने आदि की करतूत से कोई लाभ नहीं होने वाला है, इस्राइल को आप डरा धमका नहीं सकते हैं। इस्राइल को शांति का पाठ तभी पढाया जा सकता है जब हमाम और मुस्लिम गोलबंदी अपनी हिंसक और मजहबी नीतियां छोडने के लिए तैयार होंगे और फिलिस्तीन को सिर्फ मुस्लिम आधार पर देखने और समझने की नीति का त्याग करेंगे।
तिरंगे का अपमान करने, फिलिस्तीन का झंडा फहराने, फिलिस्तीन जिंदाबाद और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने की बढती प्रवृति राष्ट्र के लिए घातक है और भविष्य के लिए खतरनाक संकेत हैं। हमें ऐसे लोगों और ऐसे समूहों को राष्ट्रदा्रेही घोषित कर उन्हें नागरिकता के अधिकार से वंचित करना ही होगा।
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आचार्य श्रीहरि
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क्या किसी भारतीय के लिए तिरंगे झंडे से भी बड़ा फिलिस्तीन झंडा प्यारा हो सकता है, क्या कोई भारतीय तिरिगे झंडे का फेक कर, उतार कर, उसका अपमान कर सकता है, तिरंगे की जगह फलिस्तीन का झंडा फहरा सकता है? अगर ऐसी घटना किसी सरकारी भवन पर हुआ है तो यह प्रसंग न केवल देशद्रोह का बनता है बल्कि एक सभ्य और दायित्वपूर्ण नागरिक होने की अहर्तता का संहार भी करता है, क्योंकि भारतीय संविधान में अगर मौलिक अधिकार है तो फिर मौलिक कर्तव्य भी है। खासकर तिरंगे के प्रति समर्पण नहीं रखने वाले लोग, तिरंगे का अपमान करने वाले लोग, तिरंगे का फाड कर फेंकने वाले लोग, तिरंगे से नफरत करने वाले लोग संविधान से प्रदत्त मौलिक कर्तव्य का उल्लघन करते हैं और अपनी नागरिकता खोने का अपराध करते हैं। तिरंगे के प्रति समर्पण दिखाना मौलिक कर्तव्य है।
तिरंगा सिर्फ एक कपडे का टूकडा मात्र नहीं है बल्कि देश का आन-बान शान है, न जाने कितने भारतीयों ने तिरंगे के सम्मान के लिए अपनी जानें बलिदान की थी, अंग्रेजो की गोलिया खायी थी, अपनी हंसती-खेलती और मुस्कराती जिंदगी समाप्त करने के लिए पीछे नहीं हटे थे। लेकिन तिरंगे के प्रति मुस्लिम समुदाय की नफरत और मजहबी सोच अब भयानक और घिनौना उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है, तिरंगे की जगह उनका इस्लाम और मजहब प्यारा, सर्वश्रेष्ठ होता जा रहा है, मजहब के आधार पर उनके लिए कभी इस्लाम का झंडा, कभी बांग्लादेश का झंडा तो कभी ईरान का झंडा, तो कभी फिलिस्तीन का झंडा महत्वपूर्ण होता जा रहा है। सिर्फ तिरंगे की ही बात नहीं है बल्कि अन्य राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति इनकी नफरत और हिेसक सोच सामने लोमहर्षक करतूत के तौर पर आ रही है। जन गन मन अधिनायक हमारा राष्ट्रीय गाण है, इस राष्ट्रीय गान के प्रति हमारा रझान और सम्मान सर्वश्रेष्ठ है पर मुस्लिम समुदाय इसके प्रति घृणा प्रस्तुत करते हैं। संसद के अंदर में कई बार देखा गया है कि मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले मुस्लिम सांसद जन गन मन के गान के समय खडे होने से भी बचते है।
इस कसौटी पर उत्तर प्रदेश के खीरी की घटना ने हमें मुस्लिम समुदाय की भारत विरोधी हरकतांें पर संज्ञान लेने के लिए प्रेरित किया है, देश के नीति निर्धारकों और देश के संवैधानिक नियामकों को भी प्रतिक्रिया गत कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है। लोमहर्षक घटना उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की है। जहां पर एक सरकारी स्कूल के भवन पर लगे तिरंगे झंडे के साथ अपमान हुआ है, तिरंगे झंडे को फाड कर फेकने का अपराध हुआ है, तिरंगे की जगह फिलिस्तीन के झंडे को फहराया गया है। यह घटना सरेआम घटी है, एलानिया तौर पर हुई है। पहले से ही धमकी दी गयी थी कि स्कूल का इस्लामिककरण करो, नही ंतो इस्लामिक झडा लगा देंगे, फिलिस्तीन का झंडा लगा देंगे, पाकिस्तान का झंडा लगा देंगे। सरकारी स्कूल के शिक्षक और छात्र डरे हुए थे, वे तिरंगा हटाते तो क्यों? धमकियांें को अंजाम दिया गया। दर्जनों मुस्लिम युवक उस सरकारी स्कूल पर धावा बोलते हैं और तिरंगे का अपमान करते हैं, तिरंगे को नोच कर फेक देते हैं, उसके बाद फिलिस्तीन का झंडा लगा देंते हैं, फिलिस्तीन का झंडा फहराने के बाद फिलिस्तीन जिदाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद और इस्लाम जिंदाबाद के नारे लगते हैं। गांव वालों को धमकिया मिलती है कि इसका विरोध किया तो डायरेक्ट एक्शन वाली घटना को अंजाम दिया जायेगा। डायरेक्ट एक्शन का अर्थ हिन्दुओं को गाजर मूली की तरह काटना और इस्लाम का झंडा फहराना है। गांव वाले इस घटना से डरे हुए थे। फिर एक युवक की साहस असर दिखाता है। साहस कर एक युवक ने पुलिस के पास जाकर कंपलेन करता है। पुलिस एक्शन में आती है। तीन मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी होती है, शेष की पहचान और खोज जारी है। पुलिस की जांच संपूर्णता में होनी चाहिए। संपूर्णता में पुलिस जांच होने से यह बात सामने आयेगी कि इस लोमहर्षक घटना में कितनी बडी साजिश है और तिरंगा को निशाना बनाने के पीछे कहीं कोई अंतर्राष्टीय षडयंत्र तो नहीं है, किसी आतंकवादी संगठनों की इसमें सलिप्तता तो नहीं, क्योकि भारत में इस्लामिक कूरीतियों और हिंसक ग्रथियों का शासन लागू करने को लेकर जिहाद पहले से ही जारी है।
फिलिस्तीन हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण हैं, फिलिस्तीन के लिए हम अपना राष्ट्रीय हित और सुरक्षा हित को बलिदान क्यों करें? फिलिस्तीन कोई देश नहीं है, फिलिस्तीन कभी भी मुसलमानों की धरती या फिर वर्चस्व नहीं रहा है। इस्लाम की स्थापना के पूर्व से ही फिलिस्तीन के अंदर यहूदियों और ईसाइयों की उपस्थिति और वर्चस्व था। क्योंकि ईसाई और यहूदियों के अस्तित्व के कई सौ साल बाद इस्लाम और मुसलमानों का अस्तित्व सामने आया था। इस्लाम तलवार के बल पर बढा हुआ है और विस्तार पाया है। इस्लाम ने फिलिस्तीन पर हमला बोला और कब्जा करने के लिए हिंसा को अपनायी। इतिहास कोई भी पढ सकता है। इतिहास मे दर्ज है कि इस्लाम के दूत मोहम्मद साहब के समय भी इस्लाम और यहूदियों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था और इस्लाम की घुसपैठ फिलिस्तीन में हुई थी। बाद में फिलिस्तीन के अंदर इस्लाम का वैसा ही प्रचार और प्रसार हुआ जैसा कि ईरान में इस्लाम का हुआ था, भारत में इस्लाम का हुआ था। जिस तरह से भारत में इस्लाम ने हिंसा फैलायी और धर्मातंरण करा कर अपनी पैठ बढायी, ईरान में जिस तरह से इस्लाम ने मूल निवासी पारसियों का सफाया कर अपना एकमेव वर्चस्व स्थापित किया उसी तरह से फिलिस्तीन में भी इस्लाम ने अपना वर्चस्व कायम किया। बाद में फिलिस्तीन इस्लाम, यहूदी और ईसाइयों की सांझी भूमि के तौर पर विख्यात हो गयी, स्थापित हो गयी, फिलिस्तीन में आज मुस्लिम, ईसाई और यहूदियों के धर्मस्थल हैं, जिनको लेकर संघर्ष और हिंसा होती है। दूसरे युद्ध की समाप्ति के बाद इस्राइल अस्तित्व में आया और यहूदियों को अपनी भूमि मिली।
फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास और हिज्जबुल्लाह हमारे लिए उतने ही खतरनाक हैं और हिंसक है जितने हमारे लिए पाकिस्तान के मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं। अभी-अभी भारत और पाकिस्तान के बीच जंग हुआ और सिंदुर आपरेशन के माध्यम से भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाया, मुस्लिम आतंकवादी संगठनों के ठिकानों को उड़ाया। इस प्रकरण में हमास और हिज्जबुल्लाह ने भारत का समर्थन नहीं किया, इसने पाकिस्तान का समर्थन किया था। कश्मीर के प्रश्न पर फिलिस्तीन के आतंकी संगठनों ने हमेशा पाकिस्तान और इस्लामिक कसौटी पर समर्थन किया है और भारत के इस्लामीकरण के प्रति अपनी आस्था जतायी है। इसकी जगह इस्राइल को देख लीजिये। इस्राइल हमारा पक्का दोस्त है, इस्राइल हमारा सुरक्षा साझेदार है, इस्राइल हमारी कूटनीति का समर्थक है। जब-जब भारत की संप्रभुत्ता और अस्मिता पर संकट आया है तब-तब इस्राइल ने भारत का समर्थन किया है और भारत की मदद की है। आगे भी इस्राइल हमारा समर्थन और हमारी मदद के प्रति असहिष्णुता प्रदर्शित नहीं कर सकता है। फिलिस्तीन में मुसलमानों को इस्राइल गाजर मूली की तरह काट रहा है पर इसके लिए हमास और हिज्जबुल्लाह और मुस्लिम देशों की भूमिका और करतूत को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।
भारतीय मुसलमानों की गतलफहमियां टूटने वाली नहीं है। भारतीय मुसलमानों के इस्राइल मुर्दाबाद के नारे लगाने से, तिरंगा का अपमान करने से, तिरंगे की जगह फिलिस्तीन झंडे फहरा देने आदि की करतूत से कोई लाभ नहीं होने वाला है, इस्राइल को आप डरा धमका नहीं सकते हैं। इस्राइल को शांति का पाठ तभी पढाया जा सकता है जब हमाम और मुस्लिम गोलबंदी अपनी हिंसक और मजहबी नीतियां छोडने के लिए तैयार होंगे और फिलिस्तीन को सिर्फ मुस्लिम आधार पर देखने और समझने की नीति का त्याग करेंगे।
तिरंगे का अपमान करने, फिलिस्तीन का झंडा फहराने, फिलिस्तीन जिंदाबाद और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने की बढती प्रवृति राष्ट्र के लिए घातक है और भविष्य के लिए खतरनाक संकेत हैं। हमें ऐसे लोगों और ऐसे समूहों को राष्ट्रदा्रेही घोषित कर उन्हें नागरिकता के अधिकार से वंचित करना ही होगा।
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