Friday, October 15, 2010

राष्ट्र-चिंतन

              कांग्रेस की एक और खुशफहमी टूटी
नरेन्द्र मोदी को अब विकास पुरूष कहिये

                     विष्णुगुप्त

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर न केवल जनमत/राजनीतिक की कसौटी पर मजबूत बन कर उभरे हैं बल्कि अपने विरोधियों/कथित धर्मनिरपेक्षतावादियों को करारा जवाब भी दिया है। गुजरात के नगर निगम चुनावों में भाजपा का परचम लहराया है और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व को गुजरात की जनता ने एक बार फिर से स्वीकृति दी है और समर्थन दिया है। नरेन्द्र मोदी ने गुजरात की जनता के सामने अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता को सामने रखा और उन्हें यह अहसार कराया कि तथाकथित धर्मनिरपेक्ष संवर्ग की तुष्टीकरण की राजनीति किस प्रकार से गुजरात और राष्ट्र की अस्मिता को रौंदती है। गुजरात की जनमत ने भी यह महसूस किया केन्द्र की सत्ता/सीबीआई/न्यायपालिका सहित अन्य संवर्ग ने बहुमत की जनमत की अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रहा है और एकतरफा/झूठी/बदले की भावना से तथ्य प्रत्यारोपित किये हैं और कर रहे हैं। एक मात्र मकसद जनमत की भावनाओं को दरकिनार कर न्यायपालिका और सीबीआई के बल पर नरेन्द्र मोदी को सत्ता से बाहर करने के साथ ही साथ उनके राजनीतिक जीवन पर विराम लगाने की प्रक्रिया चल रही है। कांग्रेस ने गुजरात में अपने सभी हथकंडे चलाने में कोताही नहीं बरती। कांग्रेस को यह खुशफहमी थी कि भाजपा के आंतरिक अंतर्विरोधों और स्थानीय स्तर पर सत्ता विरोधी लहरों पर सवार होकर नरेन्द्र मोदी को नगर निगम चुनावों में पटखनी दी जा सकती है। कांग्रेस हमेशा यह समझने में भूल करती है कि गुजरात में जनमत की समझ और समृद्धि को झासे में लिया जा सकता है और उनके सिर पर तुष्टीकरण की नीति सवार हो सकती है। नरेन्द्र मोदी ने कभी भी गुजरात या फिर राष्ट्र की अस्मिता से मुंह छीपने की कोशिश नहीं की और न ही समझौते में विश्वास किया। यही उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक शक्ति है और इसी राजनीतिक शक्ति से गुजरात की बहुमत की आबादी हमेशा चमत्कृत रहती हैं।
                                   कांग्रेस के रणनीतिकारो का दिवालियापन देख लीजिये। कांग्रेस ने नगर निगम चुनावों में मुख्य मुद्दा जिस प्रसंग को बनाया था उस प्रसंग से कांग्रेस को नगर निगम चुनावों में बहुमत की बात तो दूर थी बल्कि मजबूत या उल्लेखनीय जनमत मिलने वाला था नहीं। हुआ भी यही। कांग्रेस ने सहराबुउदीन प्रसंग को चुनावी मुख्य प्रसंग बनाया था। कांग्रेस के सभी नेता सहराबुउदीन प्रसंग को इस ढंग से उठा रहे थे और जनता के बीच बार-बार दहाड रे थे जैसे गुजरात की पूरी आबादी का सहराबुउदीन प्रतितिधित्व करता था/नायक था/कोई महात्मा गांधी से भी बड़ी हैसियत व त्याग वाली हस्ती थी। कांग्रेस ने गुजासत के गृह मंत्री अमित शाह को जेल में भेजवाने जैसी कार्रवाई और उपलब्धि को प्रचारित कर रही थी। सहराबुउदीन क्या था, इसकी सच्चाई गुजरात की जनता क्या नहीं जानती थी? गुजरात की जनता जानती थी कि सहराबुउदीन जैसे अपराधी और मजहबी मानसिकता वाले लोगों से सम्मान अर्जित नहीं की जा सकती है। सहराबुउदीन ने गुजरात /महाराष्ट /राजस्थान और मध्यप्रदेश की पुलिस को नाकोचने चबवा रखा था। उसके अपराधिक कुकृत्यों से व्यापरिक और अन्य रसूक वाला तबका त्राहिमाम कर रहा था। लाखों-करोड़ों की वसूली का बाजार लगा रखा था वह। कुख्यात अंडरवर्ल्ड सरगना दाउद इब्राहिम गिरोह से उसका जुड़ाव था। सहराबुउदीन ने मध्य प्रदेश में सांप्रदायिकत दंगे भी कराने की कोशिश की थी। उसके घर से घातक हथियारों का खजाना मिला था। इसके बावजूद भी कांग्रेस ने सीबीआई के माध्यम से सहराबुउदीन केस के माध्यम से नरेन्द्र मोदी को अस्थिर करने और गुजरात की बहुमत की आबादी की अस्मिता को तार-तार करने की राजनीतिक रणनीति बुनी। इसी का परिणाम है कि नगर निगम चुनावों में कांग्रेस को गुजरात की जनता ने वियावान में खड़ा करने का काम किया है।
                                                   नरेन्द्र मोदी सिर्फ अस्मिता का प्रश्न नहीं उठाते हैं। सिर्फ प्रादेशिक अस्मिता या राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न उठाकर कोई भी राजनीतिज्ञ लम्बे समय तक सत्ता में काबिज नहीं रह सकता है। अस्मिता के साथ कई कारकें भी जुटी हुई हैं। फटेहाली/तंगहाली/भूख/गरीबी/ बेकारी/ अविकास/अरोजगार जैसी बुराइयां या फिर अनुपलब्धियों से प्रादेशिक-राष्ट्रीय अस्मिता का भाव जागृत भी नहीं हो सकता है। अस्मिता जैसी प्रक्रिया खुशहाली और समृद्धि के बाद ही आती है। नरेन्द्र मोदी ने इस मंत्र का न केवल समझा-बुझाा बल्कि इसे राजनीतिक जीवन का सार भी बनाया। गुजरात दंगों के बाद इन्होंने अपना सारा घ्यान विकास और उन्नति पर लगाया। विकास के प्रसंग में कुछ बातें अनिवार्य हैं। एक राजनीतिक अस्थिरता, दूसरा चाकचौबंद सरकारी अमला और तीसरा भ्रष्टाचार मुक्त शासन व्यवस्था। इन तीना बातों पर मोदी ने अपनी सरकारी-प्रशासनिक सक्रियता चाकचौबंद की। बेलगाम नौकरशाही को उसने कड़ी और मजबूत लगाम लगायी। अन्य सरकारी अमले को चाकचौबंद किया। शासन को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने पर जोर दिया। परिणाम यह निकला कि विकास की सीढ़िया दर सीढियां बननी शुरू हो गयी। विकास के नये-नये मॉडल तैयार हुए। सड़के/बिजली/पानी जैसी जरूरी जनसुविधाएं आम आदमी तक पहुची। स्वास्थ्य और शिक्षा की सरकारी सुविधाएं भी चाकचौबंद हुई। औद्योगिक निवेश बढ़ा। गुजरात दंगे के बाद यह कहा गया था कि निवेशक गुजरात आयेंगे नहीं। इसलिए कि गुजरात में राजनीतिक स्थिरता होगी नहीं और तकरार चरम पर होगा। ये बातें बेकार साबित हुई। किसी को भी यह आशा नहीं थी कि टाटा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के विरोध और आंदोलन से डर कर अपना नैनो प्रोजेक्ट को गुजरात ले जायेगा। टाटा को साधने में नरेन्द्र मोदी अव्वल साबित हुए। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात आज दिन दुगनी, रात चौगुनी प्रगति की राह नाप रहा है। गुजरात देश का सर्वाधिक धनी और विकसित राज्य है। यह सिर्फ और सिर्फ नरेन्द्र मोदी के कुशल और करिश्माई रणनीति और नेतृत्व से ही संभव हो सका है। नरेन्द्र मोदी की इस उपलब्धि को उनके विरोधी भी स्वीकार करते हैं। कांग्रेस जरूर नरेन्द्र मोदी की खिल्ली उड़ाती है पर यूपीए सरकार अपने विभिन्न रिपोर्टो में नरेन्द्र मोदी के विकास के सौंपाने को न केवल सम्मान की दृष्टि से देखती है बल्कि प्रमाण पत्र भी देती है।
                                      संघर्ष को कैसे शक्ति दी जाती है और विरोधों को कैसे दरकिनार किया जाता है/पराजित किया जाता है,इसमें नरेन्द्र मोदी की कोई सानी नहीं है। देश पर राज करने वाली सत्ता और पार्टी के साथ ही साथ तमाम तरह की कथित तौर पर धर्मनिरपेक्ष शक्तियां विरोध में खड़ी रहती हैं और उन्हें जेलो में भेजने के लिए न्यायिक-पुलिस साजिश बुनती रहती हैं। एक पर एक मनगढ़त और प्रत्यारोपित तथ्य प्रस्तुत हुए। मनगढंत और प्रत्यारोपित तथ्यों पर भी न्यायिक पुलिस सक्रियता चली। देश में मुठभेड़ की हजारों लम्बित प्रसंग हैं फिर सहाराबुउदीन पर ही न्यायिक और पुलिस की सक्रियता क्यों चली। सीधेतौर पर कांग्रेस की यह चाल थी। कांग्रेस ने पुलिस और न्यायिकत सक्रियता को मोहरा बनाकर मोदी को हटाने का ख्याल रखती है जो शायद ही खुशफहमी से बाहर निकल सकती है। हेडली ने पूछताछ में यह स्वीकार कर लिया है कि गुजरात पुलिस द्वारा मारे गये सभी आतंकवादी उनके मिशन के साथ जुड़े हुए थे फिर भी नरेन्द्र मोदी को फसाने और गुजरात की बहुमत की आबादी की छवि खराब करने की कोशिश रूकती नहीं है। यह सब गुजरात की बहुमत की आबादी को क्यो नहीं मालूम है?
                        केन्द्र की सत्ता में आने के बाद भाजपा खुद पथभ्रष्ट हो गयी। उसके सभी राष्ट्रवादी वायदे और यर्थाथ खो गये। उसके उपर भी कांग्रेस की बी टीम होने की भूत नाचने लगी। दलबदलुओं और सिद्धांतहीन लोगों की सवारी चमकायी गयी। परिणाम यह हुआ कि भाजपा लगातार अपना जानाधार खोती रही। पर नरेन्द्र मोदी ने अपने राष्ट्रवादी वायदों और यर्थाथ से कभी मुंह नहीं मोडा। बल्कि उन्होंने संघर्ष का रास्ता चुना। उनके संघर्ष में राष्ट्रवाद की अस्मिताएं तो होती ही हैं इसके अलावा विकास की सीढ़िया दर सीढियां भी शामिल होती हैं।यही कारण है कि नरेन्द्र मोदी को आज लालकृष्ण आडवाणी के बाद सर्वाधिक लोकप्रियता मिली हुई है। भाजपा का एक बड़ा तबका मोदी के नेतृत्व में राष्ट्र के उत्थान और विकास के सपने देखता है। इसी सपने का प्रतीक है गुजरात नगर पालिका चुनाव में भाजपा और नरेन्द्र मोदी की जीत।


संपर्क..........

मोबाइल- 09968997060

2 comments: