राष्ट्र-चिंतन
हिटलर की अनुयायी हैं मारिया कोरीना ?मुस्लिम संगठन विरोध में उतरे, ट्रंपवादी और दक्षिण पंथी भी बताया
आचार्य श्रीहरि
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विरोध एक मानवीय अभिव्यक्ति है। हर मुद्दे का विरोध और समर्थन अवश्यभांवी होता है। शांति का नोबल पुरस्कार को ही कसौटी पर रखकर देख लीजिये। शांति का नोबल पुरस्कार जिस किसी को मिलता है, उस पर विवाद उत्पन्न हो जाता है, पक्ष और विपक्ष की भावनाएं प्रबल हो जाती हैं, अतिरंजित विचार सामने आ जाते हैं, पूरी कूंडली ही बेपर्द कर रख दी जाती है, इसे नोबल पुरस्कार क्यों दिया गया, नोबल पुरस्कार देने मात्र से जनमत की हत्या हुई है, लोकतंत्र विरोधी कदम उठाये गये हैं, जैसे प्रश्नों की झडी लग जाती है। अभी-अभी वेनेजुएला के विपक्षी नेता मारिया कोरीना को शांति का नोबल पुरस्कार मिला है। नोबल पुरस्कार मिलने के साथ ही साथ मारिया कोरीना पूरी दुनिया में अचानक प्रसिद्ध हो गयी, लोकतंत्र की प्रहरी बन गयी, मानवता की पूजारी बन गयी, तानाशाही विरोधी मानसिकता की विरोधी हस्ती बन गयी, उसके पक्ष में इतनी ज्यादा विशेषताएं खोज डाली गयी उतनी विशेषताओं का भान भी खुद मारिया कोरीना की नहीं होगा ?
बातें और परिस्थितियां भी कुछ इसी तरह की हैं जो मारिया कोरीना की प्रशंसा के लिए प्रेरित करती हैं, बाध्य करती हैं। नोबल पुरस्कार के लिए उनकी प्रतिद्वदिता किसी छोटे या फिर अमान्य हस्ती से नहीं थी बल्कि बहुत बडी हस्ती थी। ऐसी हस्ती से थी जो पूरी दुनिया को अपनी उंगलियों पर नचाने के लिए दम-खम रखने की शक्ति का प्रदर्शन करते रहता है। यानी की डोनाल्ड ट्रम्प। डोनाल्ड ट्रम्प भी शांति के नोबल पुरस्कार के लिए इच्छा रखते थे और इसके लिए लॉबिंग भी खूब किये थे, अपने समर्थन देशों से अपने पक्ष में सिफारिशें भी करायी थी और उन्होंने दावा किया था कि उसने कोई एक नहीं बल्कि आठ-आठ अंतर्राष्ट्रीय युद्ध रोकवाये हैं और शांति स्थापित करने का अतुलनीय कार्य किये हैं। पाकिस्तान, रूस और इस्राइल ने लिखित सिफारिशें की थीं। नोबल कमिटी ने डोनाल्ड ट्रम्प के अचानक बदले रूप को स्वीकार नहीं किया और मारिया कोरीना के पक्ष में अपना फैसला सुना दिया। मारिया भी ट्रम्पवादी हैं और दक्षिण पंथी हें तथा ट्रम्प की ही तरह अपने देश की अस्मिता और संस्कृति के प्रति संरक्षणवादी विचार रखती हैं।
विरोध की बातें भी प्रबल हैं, यथार्थ से जुडे हुए हैं। किसने विरोध किया, क्यों किया विरोध? विरोध में कौन-कौन सी बातें प्रमुख हैं, कौन-कौन सी बातें झूठी हैं? प्रबल विरोध की बातें मुस्लिम दुनिया से आयी हुर्इ्र हैं और खासकर अमेरिकी मुस्लिम संगठन विरोध में झंडा लहरा रहे हैं। कोई एक नहीं बल्कि अनेकों मुस्लिम संगठनों ने मारिया कोरीना के भूत और वर्तमान की परतें खोद डालीं और उन्हें युद्ध समर्थक बता दिया, नस्ली हिंसा का समर्थक बता दिया, हिटलर का अनुआयी बता दिया, उपनिवेशवाद का बदबूदार उदाहरण बता दिया, मानवता का दुश्मन बता दिया, अमेरिकी एजेंट बता दिया और ईसाई समर्थक एक्टिविस्ट भी बता दिया गया। मुस्लिम वाद का प्रतिनिधित्व करने वाले काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस ने कहा है कि नोबल कमिटी को मारिया कोरीना की पूरी कूंडली खंगालनी चाहिए थी, उन्हें सिर्फ वेनेजुएला की आतंरिक राजनीति की कसौटी पर परख नहीं करनी चाहिए बल्कि मारिया की संपूर्ण जिंदगी और उसके संपूर्ण राजनीतिक क्रिया कलापों को देखना चाहिए था और उसकी पडताल भी स्वतंत्र ढंग से करनी चाहिए थी। काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस ने प्रमाण दिया है कि मारिया का सीधा संपर्क इस्राइल से है, इस्राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के लिकुड पार्टी से उसका संपर्क है, इतना ही नहीं बल्कि मारिया का संबंध यूरोपीय फांसीवादियों से भी हैं, यूरोपीय फांसीवादियों के एक सम्मेलन को भी वह संबोधित कर चुकी है। जानना यह जरूरी है कि यूरोप में फांसीवादियों का नेटवर्क और जनमत काफी विस्तार पाया है, उनका मुस्लिम विरोध का एजेंडा भी उल्लेखनीय ढंग से चर्चित हुआ है। हिटलर ने जिस तरह से यहूदियों का नरसंहार किया था और यहूदियों के खिलाफ जिस तरह प्रोपगंडा फैलाया था उसी तरह के विचार यूरोप के फांसीवादी मुस्लिम जनसंख्या को लेकर रखते हैं, और विस्तार देते हैं। सिर्फ यूरोप की ही बात नहीं है , जहां पर मुस्लिम आबादी को लेकर शंकाएं हैं और उनकी गतिविधियों को राष्ट्र केी परिधि और अस्मिता के खिलाफ माना जा रहा है। ऐसी बातें अमेरिका के अंदर भी बैठी हुई हैं और विस्तार पा रही हैं। भारत और चीन में भी मुस्लिम आबादी के विखंडन प्रक्रिया को लेकर असहमति है और विवाद व टकराव है। कश्मीर में विखंडनकारी भावनाएं हिंसक हैं और चीन में मुस्लिम विखंडनकारी अस्मिताएं हिंसक होकर समस्या का कारण बनी हुई हैं।
आरोपों और तथ्य-सच्चाई हमेशा साथ-साथ नहीं होते हैं, कई बार आरोपों और सच्चाई में काफी अतंर होता है, कभी-कभी आरोप तो हवाहवाई भी होते हैं। मारिया कोरीना का मुस्लिम विरोधी होने का प्रत्यक्ष कोई प्रमाण नहीं है, उनका कोई हिंसक बयानबाजी भी नहीं है, मुस्लिम आबादी को प्रताडित करने या फिर उन्हें अलग-थलग करने की कोई बात वह सीधी तौर पर करती नहीं हैं। उनकी इस्राइल के प्रति हमदर्दी जरूर है, इस्राइल के प्रति उनकी सहानुभूति भी है, इस्राइल की भविष्यजीवी होने की वह कामना भी करती है। इसका प्रमाण उनकी सोशल मीडिया पर हुई बयानबाजी है। 15 अप्रैल 2021 को वह ट्विटर पर लिखती हैं कि मैं इस्राइल की स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना देती हू, आपके 73 साल की आजादी को हम मिसाल की तौर पर देखते हैं, आपकी प्रगति और विकास आगे भी जारी रहेगी। इसके अलावा एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें वेनेजुएला की सत्ता मिलेगी तो फिर इस्राइल के साथ राजनयिक संबंध मजबूत करेगी, बहाल करेगी। वेनुजुएला और इस्राइल के बीच अभी कोई राजनयिक संबंध नहीं है।
हमास को लेकर उनकी धारणा भी स्पष्ट है और मानवतावादी है, आतंक विरोधी है। सात अक्टूबर 2023 को हमास ने इस्राइल पर हमला कर दुनिया को भयभीत कर दिया था और मानवता को कंपकपा दिया था। दूध मुंहे बच्चों की निर्मम हत्या हुई उनके मांस के टूकडे चबा कर खा गये थे, महिलाओं के साथ ज्यादतियां और बलात्कार की हदें पार हुई थी। हमास एक आतंकवादी संगठन है जो इस्राइल के अस्तित्व को नहीं मानता है। मारिया ने स्पष्ट तौर पर हमास द्वारा इस्राइल पर किये गये विभतस हमले के निंदा की थी और सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया था कि मैं इस्राइल के साथ हूं , हमास के आतंकवादी हमले के खिलाफ हूं, हम आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लडाई में शामिल हैं, आतंकवाद को पराजित करना हम सभी का कर्तव्य है। मारिया का हमास दृष्टिकोण पूरी तरह से मानवता वादी है और हिसंा विरोधी है, यह मुस्लिम आबादी विरोधी नहीं हैं। हमास को दुनिया का जनमत भी आतंकी ही मानता है। यही कारण है कि इस्राइल के भीषण हमले के खिलाफ पूरी दुनिया की सहानुभूति हमास को नहीं मिली थी। कहने का अर्थ यह है कि हमास का विरोध करन और इस्राइल का समर्थन करने का मतलब मुस्लिम आबादी का विरोध करना नहीं होता है।
मारिया को ट्रम्पवादी क्यों कहा जाता है? खासकर पश्चिमी मीडिया ने मारिया को ट्रम्प की नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थक माना है। इस प्रसंग पर मारिया की मजबूरी और जरूरत को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है। मारिया निर्वासित जीवन व्यतित कर रही है। वर्तमान में मारिया अमेरिका में रह रही है और यही से वेनेजुएला में राजनीतिक परिवर्तन की लडाई को तेज कर रही है। कम्युनिस्ट तानाशाही ने वेनेजुएला के भविष्य को चौपट कर दिया और भूख से तडपते हुए लोग मौत के शिकार बन गये। लोकतंत्र नाम की कोई चीज तानाशाही में नहीं होती है। सांचेत से शुरू हुई कम्युनिस्ट तानाशाही निकोलस मदुरों तक खून और हिंसा की कहानी कहती है। मानवाधारी संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि तानाशाह निकोलस मदुरो की सरकार मानवता का हनन कर रही है यातना और हत्या के बल पर लोकतंत्र समर्थक आवाज को कुचल रही है। वेनेजुएला की लोकतंत्र विरोधी तानाशाही को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन के बिना समाप्त नहीं किया जा सकता है। मारिया मानती है कि ट्रम्प का सहयोग वेनेजुएला के लिए अति आवश्यक है। ट्रम्प खुद वेनेजुएला की तानाशाही को अमेरिका विरोधी और अमेरिका के लिए खतरा मानते हैं। जहां तक मारिया के मुस्लिम विरोधी होने के आरोप की बात है तो उसमें कोई खास सच्चाई नहीं है। हर जगह और हर देश में मुस्लिम आबादी को ही इस्लामिक आतंकवाद और इस्लामिक शासन क्यों चाहिए, इसके लिए हमास और आइ्रएस, बोको हरम, जैसे मुस्लिम आतंकवादी संगठन क्यों चाहिए? मुस्लिम आबादी खुद आत्मंथन करें। नोबल पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद मारिया कोरीना और भी शक्तिशाली ढंग से लोकतंत्र की प्रहरी बनेगी।
संपर्क
आचार्य श्रीहरि
नई दिल्ली
मोबाइल 9315206123
विरोध एक मानवीय अभिव्यक्ति है। हर मुद्दे का विरोध और समर्थन अवश्यभांवी होता है। शांति का नोबल पुरस्कार को ही कसौटी पर रखकर देख लीजिये। शांति का नोबल पुरस्कार जिस किसी को मिलता है, उस पर विवाद उत्पन्न हो जाता है, पक्ष और विपक्ष की भावनाएं प्रबल हो जाती हैं, अतिरंजित विचार सामने आ जाते हैं, पूरी कूंडली ही बेपर्द कर रख दी जाती है, इसे नोबल पुरस्कार क्यों दिया गया, नोबल पुरस्कार देने मात्र से जनमत की हत्या हुई है, लोकतंत्र विरोधी कदम उठाये गये हैं, जैसे प्रश्नों की झडी लग जाती है। अभी-अभी वेनेजुएला के विपक्षी नेता मारिया कोरीना को शांति का नोबल पुरस्कार मिला है। नोबल पुरस्कार मिलने के साथ ही साथ मारिया कोरीना पूरी दुनिया में अचानक प्रसिद्ध हो गयी, लोकतंत्र की प्रहरी बन गयी, मानवता की पूजारी बन गयी, तानाशाही विरोधी मानसिकता की विरोधी हस्ती बन गयी, उसके पक्ष में इतनी ज्यादा विशेषताएं खोज डाली गयी उतनी विशेषताओं का भान भी खुद मारिया कोरीना की नहीं होगा ?
बातें और परिस्थितियां भी कुछ इसी तरह की हैं जो मारिया कोरीना की प्रशंसा के लिए प्रेरित करती हैं, बाध्य करती हैं। नोबल पुरस्कार के लिए उनकी प्रतिद्वदिता किसी छोटे या फिर अमान्य हस्ती से नहीं थी बल्कि बहुत बडी हस्ती थी। ऐसी हस्ती से थी जो पूरी दुनिया को अपनी उंगलियों पर नचाने के लिए दम-खम रखने की शक्ति का प्रदर्शन करते रहता है। यानी की डोनाल्ड ट्रम्प। डोनाल्ड ट्रम्प भी शांति के नोबल पुरस्कार के लिए इच्छा रखते थे और इसके लिए लॉबिंग भी खूब किये थे, अपने समर्थन देशों से अपने पक्ष में सिफारिशें भी करायी थी और उन्होंने दावा किया था कि उसने कोई एक नहीं बल्कि आठ-आठ अंतर्राष्ट्रीय युद्ध रोकवाये हैं और शांति स्थापित करने का अतुलनीय कार्य किये हैं। पाकिस्तान, रूस और इस्राइल ने लिखित सिफारिशें की थीं। नोबल कमिटी ने डोनाल्ड ट्रम्प के अचानक बदले रूप को स्वीकार नहीं किया और मारिया कोरीना के पक्ष में अपना फैसला सुना दिया। मारिया भी ट्रम्पवादी हैं और दक्षिण पंथी हें तथा ट्रम्प की ही तरह अपने देश की अस्मिता और संस्कृति के प्रति संरक्षणवादी विचार रखती हैं।
विरोध की बातें भी प्रबल हैं, यथार्थ से जुडे हुए हैं। किसने विरोध किया, क्यों किया विरोध? विरोध में कौन-कौन सी बातें प्रमुख हैं, कौन-कौन सी बातें झूठी हैं? प्रबल विरोध की बातें मुस्लिम दुनिया से आयी हुर्इ्र हैं और खासकर अमेरिकी मुस्लिम संगठन विरोध में झंडा लहरा रहे हैं। कोई एक नहीं बल्कि अनेकों मुस्लिम संगठनों ने मारिया कोरीना के भूत और वर्तमान की परतें खोद डालीं और उन्हें युद्ध समर्थक बता दिया, नस्ली हिंसा का समर्थक बता दिया, हिटलर का अनुआयी बता दिया, उपनिवेशवाद का बदबूदार उदाहरण बता दिया, मानवता का दुश्मन बता दिया, अमेरिकी एजेंट बता दिया और ईसाई समर्थक एक्टिविस्ट भी बता दिया गया। मुस्लिम वाद का प्रतिनिधित्व करने वाले काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस ने कहा है कि नोबल कमिटी को मारिया कोरीना की पूरी कूंडली खंगालनी चाहिए थी, उन्हें सिर्फ वेनेजुएला की आतंरिक राजनीति की कसौटी पर परख नहीं करनी चाहिए बल्कि मारिया की संपूर्ण जिंदगी और उसके संपूर्ण राजनीतिक क्रिया कलापों को देखना चाहिए था और उसकी पडताल भी स्वतंत्र ढंग से करनी चाहिए थी। काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस ने प्रमाण दिया है कि मारिया का सीधा संपर्क इस्राइल से है, इस्राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के लिकुड पार्टी से उसका संपर्क है, इतना ही नहीं बल्कि मारिया का संबंध यूरोपीय फांसीवादियों से भी हैं, यूरोपीय फांसीवादियों के एक सम्मेलन को भी वह संबोधित कर चुकी है। जानना यह जरूरी है कि यूरोप में फांसीवादियों का नेटवर्क और जनमत काफी विस्तार पाया है, उनका मुस्लिम विरोध का एजेंडा भी उल्लेखनीय ढंग से चर्चित हुआ है। हिटलर ने जिस तरह से यहूदियों का नरसंहार किया था और यहूदियों के खिलाफ जिस तरह प्रोपगंडा फैलाया था उसी तरह के विचार यूरोप के फांसीवादी मुस्लिम जनसंख्या को लेकर रखते हैं, और विस्तार देते हैं। सिर्फ यूरोप की ही बात नहीं है , जहां पर मुस्लिम आबादी को लेकर शंकाएं हैं और उनकी गतिविधियों को राष्ट्र केी परिधि और अस्मिता के खिलाफ माना जा रहा है। ऐसी बातें अमेरिका के अंदर भी बैठी हुई हैं और विस्तार पा रही हैं। भारत और चीन में भी मुस्लिम आबादी के विखंडन प्रक्रिया को लेकर असहमति है और विवाद व टकराव है। कश्मीर में विखंडनकारी भावनाएं हिंसक हैं और चीन में मुस्लिम विखंडनकारी अस्मिताएं हिंसक होकर समस्या का कारण बनी हुई हैं।
आरोपों और तथ्य-सच्चाई हमेशा साथ-साथ नहीं होते हैं, कई बार आरोपों और सच्चाई में काफी अतंर होता है, कभी-कभी आरोप तो हवाहवाई भी होते हैं। मारिया कोरीना का मुस्लिम विरोधी होने का प्रत्यक्ष कोई प्रमाण नहीं है, उनका कोई हिंसक बयानबाजी भी नहीं है, मुस्लिम आबादी को प्रताडित करने या फिर उन्हें अलग-थलग करने की कोई बात वह सीधी तौर पर करती नहीं हैं। उनकी इस्राइल के प्रति हमदर्दी जरूर है, इस्राइल के प्रति उनकी सहानुभूति भी है, इस्राइल की भविष्यजीवी होने की वह कामना भी करती है। इसका प्रमाण उनकी सोशल मीडिया पर हुई बयानबाजी है। 15 अप्रैल 2021 को वह ट्विटर पर लिखती हैं कि मैं इस्राइल की स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना देती हू, आपके 73 साल की आजादी को हम मिसाल की तौर पर देखते हैं, आपकी प्रगति और विकास आगे भी जारी रहेगी। इसके अलावा एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें वेनेजुएला की सत्ता मिलेगी तो फिर इस्राइल के साथ राजनयिक संबंध मजबूत करेगी, बहाल करेगी। वेनुजुएला और इस्राइल के बीच अभी कोई राजनयिक संबंध नहीं है।
हमास को लेकर उनकी धारणा भी स्पष्ट है और मानवतावादी है, आतंक विरोधी है। सात अक्टूबर 2023 को हमास ने इस्राइल पर हमला कर दुनिया को भयभीत कर दिया था और मानवता को कंपकपा दिया था। दूध मुंहे बच्चों की निर्मम हत्या हुई उनके मांस के टूकडे चबा कर खा गये थे, महिलाओं के साथ ज्यादतियां और बलात्कार की हदें पार हुई थी। हमास एक आतंकवादी संगठन है जो इस्राइल के अस्तित्व को नहीं मानता है। मारिया ने स्पष्ट तौर पर हमास द्वारा इस्राइल पर किये गये विभतस हमले के निंदा की थी और सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया था कि मैं इस्राइल के साथ हूं , हमास के आतंकवादी हमले के खिलाफ हूं, हम आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लडाई में शामिल हैं, आतंकवाद को पराजित करना हम सभी का कर्तव्य है। मारिया का हमास दृष्टिकोण पूरी तरह से मानवता वादी है और हिसंा विरोधी है, यह मुस्लिम आबादी विरोधी नहीं हैं। हमास को दुनिया का जनमत भी आतंकी ही मानता है। यही कारण है कि इस्राइल के भीषण हमले के खिलाफ पूरी दुनिया की सहानुभूति हमास को नहीं मिली थी। कहने का अर्थ यह है कि हमास का विरोध करन और इस्राइल का समर्थन करने का मतलब मुस्लिम आबादी का विरोध करना नहीं होता है।
मारिया को ट्रम्पवादी क्यों कहा जाता है? खासकर पश्चिमी मीडिया ने मारिया को ट्रम्प की नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थक माना है। इस प्रसंग पर मारिया की मजबूरी और जरूरत को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है। मारिया निर्वासित जीवन व्यतित कर रही है। वर्तमान में मारिया अमेरिका में रह रही है और यही से वेनेजुएला में राजनीतिक परिवर्तन की लडाई को तेज कर रही है। कम्युनिस्ट तानाशाही ने वेनेजुएला के भविष्य को चौपट कर दिया और भूख से तडपते हुए लोग मौत के शिकार बन गये। लोकतंत्र नाम की कोई चीज तानाशाही में नहीं होती है। सांचेत से शुरू हुई कम्युनिस्ट तानाशाही निकोलस मदुरों तक खून और हिंसा की कहानी कहती है। मानवाधारी संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि तानाशाह निकोलस मदुरो की सरकार मानवता का हनन कर रही है यातना और हत्या के बल पर लोकतंत्र समर्थक आवाज को कुचल रही है। वेनेजुएला की लोकतंत्र विरोधी तानाशाही को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन के बिना समाप्त नहीं किया जा सकता है। मारिया मानती है कि ट्रम्प का सहयोग वेनेजुएला के लिए अति आवश्यक है। ट्रम्प खुद वेनेजुएला की तानाशाही को अमेरिका विरोधी और अमेरिका के लिए खतरा मानते हैं। जहां तक मारिया के मुस्लिम विरोधी होने के आरोप की बात है तो उसमें कोई खास सच्चाई नहीं है। हर जगह और हर देश में मुस्लिम आबादी को ही इस्लामिक आतंकवाद और इस्लामिक शासन क्यों चाहिए, इसके लिए हमास और आइ्रएस, बोको हरम, जैसे मुस्लिम आतंकवादी संगठन क्यों चाहिए? मुस्लिम आबादी खुद आत्मंथन करें। नोबल पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद मारिया कोरीना और भी शक्तिशाली ढंग से लोकतंत्र की प्रहरी बनेगी।
संपर्क
आचार्य श्रीहरि
नई दिल्ली
मोबाइल 9315206123
