Saturday, November 3, 2018

                  राष्ट्र-चिंतन   

पाक को कंगाल होने से कौन बचायेगा ?

मुद्रा कोश और सउदी अरब, पाकिस्तान को कंगाल होने से बचा सकते हैं पर डोनाल्ड ट्रम्प की धमकी के सामने ये दोनों भी डरे हुए हैं। कंगाल होने से बचने के लिए 1200 करोड अमेरिकी डाॅलर की जरूरत है। अब पाकिस्तान को समझ में आ जाना चाहिए कि दूसरों के घरों में आग लगा कर खुशी मनाने का दुष्परिणाम क्या होता है। जिस चीन के बल पर पाकिस्तान फूलता था वह चीन पाकिस्तान को कंगाल होने से बचाने के लिए क्यों नहीं आगे आ रहा है। पाकिस्तान को अमेरिका और मुद्रा कोश, सउदी अरब के सामने कटोरा लेकर क्यों दौडना पड रहा है? अगर पाकिस्तान अपना भविष्य सुरक्षित रखना चाहता है तो फिर उसे अमेरिका-भारत के साथ रिश्ते मुधर करने ही होंगे, चीनी हथकंडों से मुक्त होना ही होगा, हिंसा की आग पर पानी डालना ही होगा?


                   विष्णुगुप्त




पाक को कंगाल होने से कौन बचायेगा? यह प्रश्न न केवल पाकिस्तान की आतंरिक राजनीति को उथल-पुथल कर दिया है बल्कि मुस्लिम दुनिया और यूरोप-अमेरिका में भी ध्यान खींचा है, चर्चा का विषय बना हुआ है। मुस्लिम दुनिया और अमेरिका-यूरोप में चर्चा का विषय यह है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में लगी आग में कौन अपना हाथ जलायेगा, कौन अपने हाथ और अपने हित को बलि देकर पाकिस्तान को कंगाल होने से बचायेगा, क्या ऐसे देश को कंगाल होने से बचाना जरूरी है जो देश अपनी आतंकवाद की आउटसोर्सिंग नीति से दुनिया की शांति और सदभाव को खतरनाक तौर पर विध्वंस करता हो और निर्दोष जिंदगियों को लहूलुहान कहरने की नीति पर चलता हो। जानना यह जरूरी है कि पाकिस्तान वर्तमान में कई तरह के संकटों से जूझ रहा है। एक तो उसकी अर्थव्यवस्था विध्वंस होने के कगार पर खडी है, अर्थव्यवस्था की गिरती रफतार को थामने की शक्ति पाकिस्तान की सरकार के अंदर में है नही, ंतो फिर अर्थव्यवस्था को विध्वंस होने से कैसे बचाया जा सकता है, विदेशी मुद्रा भंडार लगभग समाप्त हो गया है, कर्ज की अदायती की आर्थिक शक्ति नहीं है, पाकिस्तानी रूपये की कीमत लगभग 30 प्रतिशत घट गयी है। 
        जिन देशों और जिन संस्थानों से उम्मीद थी उन देशों ने और उन संस्थानों ने या तो हाथ खींच लिये हैं, आर्थिक मदद देने से इनकार कर दिये हैं या फिर उन देशों और उन संस्थानों ने ऐसी शर्ते थोपी हैं जिसकी पूर्ति संभव नहीं है, उन शर्तो को स्वीकार करना खतरनाक है, संप्रभुत्ता के साथ समझौता करना हो सकता है। पाकिस्तान के लिए सबसे बडी समस्या अमेरिका और डोनाल्ड ट्रम्प हैं। डोनाल्ड ट्रम्प पाकिस्तान को किसी भी परिस्थिति में सबक सीखाना चाहते हैं, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था विध्वंस को सुनिश्चित होना देखना चाहते हैं। डोनाल्ड ट्रम्प ने मुद्रा कोश को सीधे तौर पर हडका दिया है कि अगर पाकिस्तान को आर्थिक सहायता दी तो फिर उसके दुष्परिणाम भयंकर होंगे? उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान सहायता के लिए मुद्रा कोश में बार-बार दस्तक दे रहा है और पाकिस्तान को उम्मीद है कि मुद्रा कोश ही उसकी अर्थव्यवस्था के विध्वंस को बचा सकता है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की दिन-रात की नींद गायब है, उसके मंत्रिमंडल के सदस्यों की भी नींद हराम हो गयी है। कहने का अर्थ यह है कि इमरान खान और उसकी सरकार दिन-रात यही कोशिश में लगी हुई है कि किस संस्थान और किस देश से आर्थिक सहायता हासिल की जायें। सबसे बडी समस्या इमरान खान ही हैं, इमरान खान की साख ही नहीं है? अब यहां कोई प्रश्न कर सकता है कि इमरान खान की साख क्यों नहीं है? इसका उत्तर यह है कि इमरान खान मूल रूप से राजनीतिज्ञ नहीं हैं, इमरान खान मूल रूप से राजनीतिज्ञ होते तो उन्हें पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, पाकिस्तान की संप्रभुत्ता और पाकिस्तान की आतंरिक रूढिंयों की समझ होती और इन सभी समस्याओं से निकलने की क्षमता भी होती। इमरान खान की छवि भी अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार फीट नहीं बैठती है। अंतर्राष्ट्रीय जगत में पहले से ही बात बैठी हुई है कि इमरान खान आतंकवाद के समर्थक हैं, आतंकवादियों को इमरान खान न केवल समर्थन देते हैं बल्कि संरक्षण भी देते हैं, आतंकवाद के बल पर चुनाव जीते हैं, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इमरान खान पाकिस्तान की सेना का मोहरा भी हैं। पाकिस्तान की सेना ने लोकतंत्र का हरण कर इमरान खान को प्रधानमंत्री बनवायी थी। यह आरोप पाकिस्तान की राजनीति में आम है, नवाज शरीफ ऐसे आरोप बार-बार लगाते हैं। अपनी छवि के लिए इमरान खान खुद जिम्मेदार हैं। इमरान खान ने चुनाव के दौरान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की खूब खिल्लियां उठाया करते थे और कहा करते थे कि सत्ता में आने के तुरंत बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, अंतर्राष्ट्रीय नियामको और अतंराष्ट्रीय वित्त संस्थानों को पाकिस्तान की शक्ति दिखायी जायेगी, उनके छोटे-मोटे कर्ज को उनके मुंह पर मार दिया जायेगा, पाकिसतन को किसी की सहायता की जरूरत ही नहीं है। पर जब सत्ता में इमरान खान आये तब उन्हें दिन में ही तारे दिखायी देने लगे। पाकिस्तान की विध्वंस हो रही अर्थव्यवस्था इमरान खान के सिर पर भूत की तरह नाचने लगी।
कौन-कौन देश है और कौन-कौन संस्थाएं हैं जहां से पाकिस्तान की उम्मीद बनती है और पाकिस्तान आर्थिक सहायता के लिए हाथ-पैर मार रहा है? कोई एक नहीं बल्कि दर्जनों देशों से पाकिस्तान ने कोशिश की थी पर हर जगह उसे निराशा हीे मिला है। सिर्फ दो जगह ही बचे हैं जहां पर पाकिस्तान की उम्मीद बची हुई हैं और जहां से पाकिस्तान को आर्थिक सहायता की उम्मीद बनती है। एक सउदी अरब है और दूसरा मुद्रा कोश है। सउदी अरब से पाकिस्तान की दोस्ती पुरानी है, पाकिस्तान को बार-बार सउदी अरब ने सहायता की है। पर कुछ सालों से पाकिस्तान और सउदी अरब के रिश्तों में खटास आ गयी है। यमन पर हमले में पाकिस्तान ने सउदी अरब का साथ नहीं दिया था, जिस कारण सउदी अरब नाराज है। एक अडचन यह है कि सउदी अरब की अर्थव्ववस्था खुद ही खराब हो रही है, उसकी अर्थव्ववस्था में इतनी शक्ति नहीं है कि वह पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को उबार सके। सउदी अरब ने पाकिस्तान को 300 करोड़ डालर का देने का वायदा किया है, ऐसा कहना पाकिस्तान की इमरान खान सरकार का है। पाकिस्तान को अगर सउदी अरब 300 करोड़ डाॅलर दे भी देगा तो भी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की समस्या दूर हो जायेगाी, ऐसा नहीं माना जा सकता है। वर्तमान संकट से निकलने के लिए पाकिस्तान को करीब 1200 करोड़ अमेरिकी डालर की जरूरत है। मुद्रो कोश ने इसके पहले 13 बार पाकिस्तान की मदद की है और पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज दिया है। पर इस बार पाकिस्तान पर मुद्रा कोश की नजर टेढी है। मुद्रा कोश की शर्त काफी खतरनाक हैं और स्वीकार के लायक नहीं हैं। सबसे बडी बात यह है कि मुद्रा कोश ने चीनी कर्ज के संबंध में जानकारी मांगी है। मुद्रा कोश को आशंका है कि पाकिस्तान उसके वित्तीय सहायता का इस्तेमाल चीनी कर्ज की अदायगी में कर सकता है। यही कारण है कि मुद्राकोश ने पाकिस्तान से चीनी कर्ज से संबंधित सभी जानकारियां और वह भी तथ्य परख ढंग से मांगी है। जानना यह भी जरूरी है कि पाकिस्तान के लिए चीन की सहायता से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा अब पाकिस्तान के लिए गले की हड्डी बन गयी है, चीनी निवेश आधारित आर्थिक गलियारे के निर्माण में पाकिस्तान को अंशदान करने में भारी समस्या हो रही है। मलेशिया से भी पाकिस्तान उम्मीद कर रहा है। मलेशिया से पाकिस्तान हर साल 200 करोड डाॅलर का व्यापार करता है, मलेशिया से पाकिस्तान खाद्य तेल पदार्थ खरीदता है। पर मलेशिया की कोई रूचि है या नहीं, यह स्पष्ट अभी तक नहीं हुआ है।
इमरान खान की सत्ता स्थापित होते ही पाकिस्तान में मूल्य वृद्धि सातवें आसमान पर पहुंच गया है। जन जरूरतों पर आधारित खाद्य वस्तुएं की कीमत काफी बढी हैं। आम आदमी त्राहिमाम कर रहा है, आम आदमी की क्रय शक्ति घट रही है। पाकिस्तान के अंदर कोई ऐसा उद्योग-घंधा भी नहीं है जो आम जनता की समस्याओं को कम कर सके।
इमरान खान के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक काल के समान खडे हैं। डोनाल्ड ट्रम्प यह नहीं चाहते हैं कि कोई पाकिस्तान की आर्थिक सहायता करें। पाकिस्तान को जो भी आर्थिक सहायता देगा उसे डोनाल्ड ट्रम्प के तांडव से अभिशप्त होना होगा। डोनाल्ड ट्रम्प आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की गर्दन को मरोडना चाहते हैं। सउदी अरब भी अंदर से डरा हुआ है। मुद्रा कोश को भी डोनाल्ड ट्रम्प की नाराजगी का भान है। अब पाकिस्तान को समझ में आ जाना चाहिए कि दूसरों के घरों में आग लगा कर खुशी मनाने का दुष्परिणाम क्या होता है। जिस चीन के बल पर पाकिस्तान फूलता था वह चीन पाकिस्तान को कंगाल होने से बचाने के लिए क्यों नहीं आगे आ रहा है। पाकिस्तान को अमेरिका और मुद्रा कोश, सउदी अरब के सामने कटोरा लेकर क्यों दौडना पड रहा है? अगर पाकिस्तान अपना भविष्य सुरक्षित रखना चाहता है तो फिर उसे अमेरिका-भारत के साथ रिश्ते मुधर करने ही होंगे, चीनी हथकंडों से मुक्त होना ही होगा, हिंसा की आग पानी डालना ही होगा?


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